लेखनी प्रतियोगिता -07-May-2023
राम लाल
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राम लाल व्यापारी बन सारे धन्धे कर डाले।
कोई धन्धा चला नहीं पड़ गये रोटी के लाले।।
राम लाल ने तब मन में, कवि बनने की ठानी।
कविताएं तो खूब लिखी पढ़ने में पड़ गया पानी।।
महबूबा पर पढ़ी जो कविता मैं मैं कर चिल्लाये।
दो घंटे में कविता वो अपनी पूरी ना कर पाए।।
जनता ने फिर हूटिंग कर दी राम लाल घबड़ाये।
मंच छोड़कर राम लाल फिर जल्दी से नीचे आए।।
सोच रहे हैं राम लाल मुझको अब क्या करना है।
मां गंगा की शरण चलूं अब डूब के ही मरना है।।
गंगा मां के घाट गए तो नयनों में अश्क भरे थे।
नज़र पड़ी जो भीड़ पर उनकी जहां काफी लोग खड़े थे।।
थी दुकान वो कफ़न की यारों जहां मोलभाव ना होता।
हर मरने वाले का बेटा नकद सामान सभी ले लेता।।
राम लाल के तब दिमाग में ये धन्धा समझ में आया।
मरने की फिर करी तिलांजलि कफ़न दुकान सजाया।।
दुकान खोल परचे बंटवाये लाउडिसपीकर खूब बजाया।
दिनभर बैठे खुद दुकान पर कोई बोहनी करने ना आया।।
क्या करते बेचारे राम लाल बोलने में थे वो हकलाते।
कविताएं तो अच्छी लिखते पर कभी नहीं पढ़ पाते।।
कवि बनने के अरमान उन्होंने दिल में बहुत संजोए।
लौट कर कविता मंच में आ खूब जोर जोर से रोए।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Punam verma
08-May-2023 08:20 AM
Very nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-May-2023 07:36 AM
Nice
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Abhinav ji
08-May-2023 07:13 AM
Very nice 👍
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